5 Simple Statements About sidh kunjika Explained
5 Simple Statements About sidh kunjika Explained
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करें. जानते हैं सिद्ध कुंजिका पाठ की विधि और लाभ.
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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
धिजाग्रं धिजाग्रं check here त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
इसके लिए मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इसे देवी की तस्वीर के दाईं तरफ रखें.